राष्ट्रीय एकता पर निबंध | Rashtriy Ekta per Nibandh

प्रस्तावना ( Rashtriy Ekta per Nibandh )

हमारा देश में विभिन्न प्रकार के जाति , धर्म और संस्कृति के लोग रहते हैं । भारत के विविधता में एकता के चर्चे पुरे विश्व में हो रही है। राष्ट्रीय एकता एक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया व एक भावना है जो किसी राष्ट्र की राष्ट्र के लोगों में भाईचारा अथवा राष्ट्र के प्रति प्रेम एवं अपनत्व का भाव प्रदर्शित करती हैं। एक ही देश में रहने वाले लोगों के बीच एकता का होना उस देश के सर्वांगीण विकास के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।

राष्ट्रीय एकता का अर्थ

राष्ट्रीय एकता ( Rashtriy Ekta per Nibandh ) का सामान्य अर्थ होता है मिल जुलकर कार्य करना । राष्ट्रीय एकता का मतलब ही होता है , राष्ट्र के सभी घटकों में भिन्न भिन्न और विभिन्न आस्थाओं के होते हुए भी आपसी प्रेम , एकता और भाई चारे का बना रहना। राष्ट्रीय एकता में केवल शारीरिक समीपता ही महत्वपूर्ण नहीं होती बल्कि उसमें मानसिक , बौध्दिक , वैचारिक और भावनात्मक निकटता की सामानता आवश्यक हैं।

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Rashtriy ekta per nibandh

राष्ट्रीय एकता दिवस

सरदार वल्लभभाई पटेल की जन्मदिवस के उपलक्ष में राष्ट्रीय एकता ( Rashtriy Ekta per Nibandh ) दिवस हर साल 31 अक्टूबर को मनाया जाता है। इसकी शुरूआत केन्द्र सरकार द्वारा 31 अक्टूबर सन् 2014 को की गई थी। जिसका उद्घाटन माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा किया गया था। इस दिन मोदी जी ने सरदार वल्लभभाई पटेल जी की मूर्ति पर माल्यार्पण कर “रन फॉर यूनिटी” मैराथन दौड़ का भी शुरुआत किया था।

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राष्ट्रीय एकता में सरदार वल्लभ भाई पटेल का महत्व

जब भारत आजाद हुआ उस समय वह छोटे छोटे कई रियासतों में बटा हुआ था।जिनको एक साथ लाने का श्रेय सरदार वल्लभभाई पटेल को जाता है। सरदार वल्लभभाई पटेल ने आजादी के ठीक पहले कई राज्यों को भारत में मिलाने के लिए कार्य शुरू कर दिया था। सरदार वल्लभभाई पटेल को भारत के विभिन्न राज्यों के लोगों के बीच घनिष्ठ एवं मजबूत संबंध बनाएं।

उन्होंने अपने सुझ – बुझ और राजनीतिक कुटिलता से समस्त भारत को एक किया तथा कई कठोर निर्णय लिया इसलिए उन्हें लौह पुरुष भी कहा जाता हैं। आजादी के बाद उन्होंने गृहमंत्री के रूप में सेवा दी, जिसमें उनकी पहली प्राथमिकता थी। सभी राज्यों को भारत में मिलाना ।

सन् 1991 में देहांत के बाद सरदार वल्लभभाई पटेल को भारत रत्न से नवाजा गया था। विश्व की सबसे बड़ी इमारत स्टेच्यू ऑफ यूनिटी का निर्माण भी इस महान लौह पुरुष के सम्मान में किया गया ।

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राष्ट्रीय एकता का महत्व

कोई भी राष्ट्र तभी सुरक्षित रहता है जब तक उस देश की जनता और सरकार (शासन) में आपसी एकता ( Rashtriy Ekta per Nibandh ) और अखंडता निहित होती हैं। हमारे देश की इसी आपसी एकता और अखंडता की कमी का फायदा उठाकर अंग्रेजों ने भारत में 200 वर्षों से अधिक तक राज किया ।

अब भारत आजाद है लेकिन हम सभी को अपने देश के अन्दर उन असमाजिक तत्वों से खुद को बचा कर रखना है जो हमें आपस में बांटने की कोशिश करता है। तभी हमारा देश एक अखंड भारत बन सकेगा। सभी भारतीयों को अपने धर्म जाति से उठकर सोचने की जरूरत है और एक सच्चे भारतीय की तरह कन्धे-से-कन्धा मिलाकर देश की अखंडता बनाए रखने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देना चाहिए।

भारत एक महान स्वतंत्र एवं प्रगतिशील राष्ट्र है। राष्ट्रीय एकता बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि हम अपनी क्षुद्र मानसिकता से स्वयं को दूर रखें। राष्ट्रीय एकता के महत्व को देश के युवा पीढ़ी समझेंगे तभी राष्ट्र एकीकृत होगा।

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राष्ट्रीय एकता में बाधक तत्व

आर्थिक और सामाजिक असमानता राष्ट्रीय एकता ( Rashtriy Ekta per Nibandh ) में बहुत बड़ी बाधा है । उस असमानता का मुख्य कारण अहंकार और स्वार्थ है। इसलिए राष्ट्र की भावनात्मक एकता के लिए अहंकार और स्वार्थ को छोड़ना अत्यंत आवश्यक हैं। जातीय असमानता भी राष्ट्रीय एकता में बाधक है। इसी प्रकार साम्प्रदायिकता, भाषावाद , रंगभेद, क्षेत्रीयता, दूषित शिक्षा प्रणाली, दूषित राजनीति भी राष्ट्रीय एकता के प्रमुख बाधक है।

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राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के उपाय

राष्ट्रीय एकता ( Rashtriy Ekta per Nibandh ) को बढ़ावा देने के लिए सबसे पहले देश के आम तथा खास सभी नागरिकों को एक दूसरे को आदर सम्मान देने हेतु जागरूक किया जाना चाहिए । सामाजिक असमानता को बढ़ावा देने वाले सभी कानूनों को समाप्त किया जाना चाहिए। नकारात्मक विचारों से दूर रहकर सकारात्मकता को बढ़ावा देना चाहिए। हमारी सरकार और मीडिया कर्मी इसमें महत्वपूर्ण योगदान दें सकतें हैं।

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उपसंहार

किसी भी देश की अखंडता उस देश की राष्ट्रीय एकता ( Rashtriy Ekta per Nibandh ) में निहित होता है। राष्ट्रीय एकता एक ऐसी शक्ति है जो समाज को एक दूसरे से जोड़ें रखती हैं और उन्हें शक्तिशाली बनाती हैं।

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