Holi per Nibandh | होली का निबंध | Top Holi ka Nibandh 2022

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प्रस्तावना ( Holi per Nibandh )

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। प्राचीनकाल से ही मनुष्य त्यौहारों का प्रेमी रहा है । हमारे देश में समय-समय पर किसी न किसी त्योहार का आयोजन होता रहा है । जैसे – रक्षाबंधन, दशहरा, दीपावली, होली आदि । होली एक ऐसा रंग-बिरंगा त्यौहार है जिसे हर धर्म के लोग पूरे उत्साह और उमंग के साथ मनाते हैं ।प्यार भरे रंगों से सजा यह पर्व हर धर्म, सम्प्रदाय, जाति बंधन खोलकर भाई चारे का संदेश देता है । इस दिन सारे लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भुलाकर गले लगते हैं ‌‌‌और एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाते हैं ।

होली मनाने का समय ( Holi per Nibandh )

होली का त्यौहार फागुन माह के पूर्णमासी को मनाया जाता है । इस समय बसंत ऋतु का मौसम होता है। होली का प्रारंभ बसंत पंचमी से हो जाता है यह हिन्दुओं का सबसे बड़ा त्योहार है जो कि एक महीने तक चलता है। इस महिने में होली गीत व फाग गाये जाते हैं।

सरसों फूली झुम के, भौंरे गाये गान ।

टेसु रागों में रंगे, चलें काम के बान।।

प्रकृति नयी दुल्हन बनी, हुए रंगोली खेत।

भीगी मिट्टी प्यार से, उड़ें पगडंडी की रेत।।

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होली मनाने के कारण ( Holi per Nibandh )

इस उत्सव को मनाने के सम्बन्ध में विभिन्न मत है । हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को यह वरदान था कि वह आग में जल नहीं सकतीं । हिरण्यकश्यप ने आदेश दिया कि होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठे, आग में बैठने पर होलिका तो जल गई पर प्रह्लाद बच गया । ईश्वर भक्त प्रह्लाद की याद में इस दिन होली जलाई जाती है।

होली के सम्बन्ध में यह भी कहा जाता है कि भगवान शिव ने अपने तीसरे नेत्र को खोलकर कामदेव को भस्म कर दिया था इसलिए होलिका दहन होता है। कुछ लोगों का मानना है श्रीकृष्ण ने इस दिन पुतना का वध किया था इसलिए होली मनाई जाती है ।

प्राचीन काल में यह त्योहार सामुहिक यज्ञ के रूप में मनाया जाता था । जिसमें अन्न को आहुति देकर देवताओं को खुश किया जाता था । यह कथा भी कुछ हद तक सत्य है क्योंकि आज भी हम होली में जौं व गेंहू की बालियां भुनते है । एक – दूसरे को प्रसाद के रूप में दाने देते हैं और बड़ों का अभिनंदन करते हैं । बड़े लोग छोटो को आशीर्वाद देते हैं।

Holi per Nibandh
Holi per Nibandh | होली का निबंध

होली का वर्णन ( Holi par Nibandh )

इस त्यौहार के पूर्व व्यक्ति रंग और गुलाल फेंकना प्रारंभ कर देते हैं। प्रत्येक घर में विभिन्न प्रकार के पकवान एवं मिठाइयां बनाई जाती है सभी व्यक्ति बड़े सुरक्षित ढंग से होली के मधुर गीत गाते हैं तथा आपस में रंग-गुलाल लगाते हैं। रंग – क्रीडा के बाद सभी प्रेम पूर्वक एक – दूसरे से मिलते हैं।

होली बालक, युवा, वृद्ध, स्त्री -पुरूष सभी का त्यौहार है। सभी आपस में रंग-गुलाल लगाते हैं। रंग पानी में घोलकर डालते हैं और रंग को पिचकारी में भरकर एक – दूसरे पर डालने से बड़ा आनंद आता है । सभी मिलकर मिठाई खाते हैं और एक दूसरे को गले लगाते हैं। इस त्यौहार पर लोग अपनी दुश्मनी भुलाकर गले मिलते हैं और शत्रुता भूल जाते हैं। इस दिन ऊंच-नीच , छोटा -बड़ा , अमीर-गरीब , अफसर-चाकर सब एक समान होते हैं ।

कृषि की दृष्टि से होली का महत्व ( Holi per Nibandh )

इस त्यौहार का संबंध कृषि से भी है। होली का अर्थ है होला या होरा या कच्चा अन्न होता है । होली के दिनों में चने और गेंहू के अधकच्चे तैयार हो जाते हैं , उन्हें आग में भूनकर खाने में बड़ा आनंद आता है। किसान फसल

दोष एवं निवारण ( Holi per Nibandh )

होली का त्यौहार हिन्दुओं का श्रेष्ठ त्यौहार माना जाता है। फिर भी इस त्यौहार में कुछ दोष उत्पन्न हो गये है । लोग शराब,भांग,गांजा आदि मादक पदार्थों का सेवन करते हैं और दूसरों को भी पेय पदार्थों में मिलाकर पीला देते हैं । कुछ लोग होली के बहाने अपनी दुश्मनी भी निकालते हैं और लोगों को नुक़सान पहुंचाते हैं और कुछ लोग दुसरो पर किचड़ व गुब्बारे फैंकते है। इससे लोगों को चोट भी लग जाती है। हमें इन सब से दोषों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए और इस त्यौहार को प्रेम व सौहार्दपूर्ण वातावरण में मनाना चाहिए।

उपसंहार ( holi ka nibandh )

होली को आपसी प्रेम एवं एकता का प्रतीक माना जाता है। होली हमें सभी मतभेदों को भुलाकर एक – दूसरे को गले लगाने की प्रेरणा प्रदान करता है । इसके साथ ही रंगों का त्यौहार होने के कारण भी होली हमें प्रसन्न रहने की प्रेरणा देती है। इसलिए इस पवित्र पर्व के अवसर पर हमें ईर्ष्या, द्वेष , कलह आदि बुराइयों को दूर करना चाहिए ।

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