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प्रस्तावना
अनुशासन दो शब्दों से मिलकर बना है जिसका अभिप्राय है कि – शासन के पीछे चलना या नियमानुसार कोई भी कार्य करना । अतः नियमों का पालन करना ही अनुशासन है । मानव जीवन में अनुशासन का महत्वपूर्ण स्थान है। सृष्टि के सम्पूर्ण क्रिया-कलापों में भी हमें इसी अनुशासन के दर्शन होते हैं। सुर्य एवं चन्द्र एक निश्चित समय में ही उगते एवं अस्त होते हैं। इसी प्रकार प्रकृति की अन्य शक्तियां अनुशासन में रहती हुई दिखाई देती है।
अनुशासन का जीवन में महत्व ( Anushasan par Nibandh )
जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए हमें पग-पग पर इसका पालन करना चाहिए । जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अनुशासन की आवश्यकता होती हैं। विद्यार्थी जीवन में बालक यदि अनुशासित नहीं है , तो वह न तो अपनी पढ़ाई ठीक प्रकार से पुरी कर पायेगा और न विद्यालय को सुचारू रूप से चलने देगा । सामाजिक जीवन में भी उसे प्रत्येक कदम पर अनुशासन का ही पालन करना पड़ता हैं।
यही बात पारिवारिक जीवन में भी देखने को मिलती हैं। स्कूल हो या दफ्तर, व्यापार हो या कारखाना, सेना हो या पुलिस सभी में अनुशासन की नितांत आवश्यकता पड़ती हैं। अनुशासन के बिना कोई कार्य सरलता से नहीं हो सकता है। सेना में तो अनुशासन के बिना कोई भी कार्य सरलता से नहीं हो सकता है।
अनुशासन से लाभ ( Anushasan par Nibandh )
मानव – जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अनुशासन का महत्वपूर्ण स्थान होने इसके द्वारा हमें अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। अनुशासन में रहने से मानव की शारीरिक , मानसिक एवं समाजिक प्रगति होती हैं। यही वह तत्व है जिसके अध्ययन और प्रयोग से मानव जीवन में शांति एवं उन्नति की प्राप्ति होती है। अनुशासन में रहने वाला दुर्बल से दुर्बल राष्ट्र भी एक दिन उन्नत राष्ट्र बन जाता है ।
दोनों विश्व युद्धों में पुरी तरह से नष्ट हुए जर्मनी एवं जापान अनुशासन के बल पर ही आज विश्व में उन्नत राष्ट्र बने हुए हैं। इस गुण के निरंन्तर अभ्यास से मनुष्यों में सत्यता, कर्तव्यनिष्ठता, ईमानदारी एवं लगन आदि गुणों का विकास होता है। प्राचीन काल से ही हमारे ऋषि -मुनियों ने इसकी महत्ता बतलाती है और इसी के बल पर वे ज्ञान एवं वैभव के क्षेत्र में जगद गुरु बन सके।
इस गुण के अभ्यास के लिए पहले तो मनुष्य को कुछ कष्ट सा लगता है, पर निरंतर अभ्यास से उसकी आदत बन जाती है और बिना अनुशासन के उसका जीवन अटपटा सा हो जाता है । अतः जीवन में सब प्रकार की उन्नति के लिए अनुशासन का उपयोग नितान्त आवश्यक है ।
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वर्तमान में अनुशासन ( Anushasan par Nibandh )
वर्तमान युग में अनुशासन का बहुत महत्व है । आज जबकि सब ओर उद्दण्डता एवं अनुशासन हीनता का बोलबाला है । आये दिन हड़ताल एवं जुलूस आदि निकलते रहते हैं , उत्पादन निरंतर गिर रहा है , कार्यालय में काम नहीं होता है , ऐसी दशा में अनुशासन का विशेष महत्व है । पर चिंता की बात तो यह है कि देश के उच्च नेता वर्ग में ही जब अनुशासन हीनता है , तो फिर और लोग इससे कहां बच सकते हैं ?
अतः आवश्यकता इस बात की है कि उच्च नेता वर्ग एवं शासन वर्ग में सर्वप्रथम अनुशासन की भावना आये तभी वे समाज के अन्य लोगों से अनुशासन पालन करने की बात कह सकेंगे ।
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अनुशासन के साधन ( Anushasan par Nibandh )
समाज में लोगों को अनुशासन का महत्व समझाना चाहिए । उन्हें उनके अधिकारों से पूर्व अपने कर्तव्यों को बताना चाहिए । साथ ही समाज के अन्य लोगों को स्वयं भी अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक होना चाहिए । खेलकूदों ,एन. सी. सी. और स्काउटिंग आदि के प्रशिक्षण से छात्रों में अनुशासन की भावना बचपन से ही जम जाती है और फिर वह जीवन भर उनके काम आती रहती हैं।
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अनुशासित राष्ट्र एवं व्यक्तियों के उदाहरण ( Anushasan par Nibandh )
इस संसार में हम देखते हैं कि वे ही राष्ट्र एवं व्यक्ति उन्नति के मार्ग पर होते हैं , जो अनुशासन से रहते हैं । जर्मनी , जापान एवं इज़राइल आदि देशों ने इसी अनुशासन के बल पर संसार में उन्नत राष्ट्रों में अपना स्थान बना लिया है। इसी प्रकार नेपोलियन , अशोक , महाराणा प्रताप, शिवाजी , जवाहरलाल नेहरू, लालबहादुर शास्त्री, स्टालिन, आइजन हावर आदि ने अनुशासन के बल पर ही ऊंचा पद प्राप्त कर विश्व में अपना नाम कमाया है।
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उपसंहार ( Anushasan par Nibandh )
सार रूप में हम कह सकते हैं कि मानव जीवन में अनुशासन का महत्वपूर्ण स्थान है। बिना अनुशासन के कोई भी व्यक्ति एवं राष्ट्र उन्नति नहीं कर सकता है। सामाजिक , राजनैतिक एवं आर्थिक उन्नति के लिए प्रत्येक राष्ट्र एवं समाज को अनुशासन में रहना पड़ता है। जो व्यक्ति अनुशासन में नहीं रहता है , वह टुकड़े – टुकड़े होकर बिखर जाता है । अतः राष्ट्र एवं व्यक्ति के जीवन में अनुशासन का महत्वपूर्ण स्थान है।
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