Amaltas tree benefits in Hindi ( Cassia Fistula )

Amaltas tree अमलतास का वैज्ञानिक नाम केशिया फिस्टूला है । भारत में यह वृक्ष लगभग हर क्षेत्र में पाया जाता हैं । यह वृक्ष जमीन के साथ ही गमले में भी लगाया जाता है । इसका तना दो फीट तक मोटा हो सकता है और इसकी लम्बाई 20-25 फीट तक हो सकता हैं।

अप्रैल से मई तक यह वृक्ष पूरी तरह फूलों से ढक जाता है और इसमें फूल लम्बे गच्छो में लगते हैं । ऐसा माना जाता है कि फूल खिलने के 45 दिनों बाद बारिश होती है इस लिए इस वृक्ष को गोल्डन शावर ट्री अथवा रैन इंडिकेटर ट्री भी कहा जाता है ।

जब सर्दी आती है तो इन वृक्षों पर हाथ के जितने लम्बे फली आती है । ये फलियां लम्बी बेलनाकार गोल और काले रंग के होते हैं और उन फलियों के अन्दर तेल भी होता है । इन फलियों के अन्दर से तेल निकाला जाता है ये तेल पेट्रोल और स्प्रिंट के जैसे हवा में उड़ या वाष्पीत हो जाता है।

amaltas tree
Amaltas tree

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Amaltas tree अमलतास के फलियों के अन्दर ब्लौक्स बने होते हैं , जिसके अन्दर बीज लगे होते है ।

Amaltas tree अमलतास की छाल उतारने पर इसमें लाल रंग के तरल पदार्थ निकलता है जो जमकर गोंद बनता है और यह गोंद बहुत ही उपयोगी होता है। आयुर्वेद में इस वृक्ष के सभी अंगों में औषधीय गुण होते हैं । Amaltas tree अमलतास के पुष्प कफ व पित्त नाशक होता है । इसके फूल से ग्रीन टी बनता है जो काफी फायदेमंद है।

Amaltas tree benefits (अमलतास के फायदे)

मुंह के छालो में Amaltas tree अमलतास के गुदा और सूखी अथवा हरी धनिया को महीन पेस्ट बनाकर मुख में लेप करने से बहुत आराम मिलता है । इसमें कत्था भी मिलाया जा सकता है।

त्वचा रोग में गाय के दूध में Amaltas tree अमलतास के पत्तों को पीसकर लेप लगाने से त्वचा में कांति आती हैं और झुर्रियां भी कम होती है।

यदि विसर्प या हरपीस हों तो 8 से 10 पत्ती पीसकर घी में मिलाकर लगाना चाहिए। यदि जलन , खुजली हो रही है तो चांवल को 3 से 4 घण्टे भिगोकर मसलकर उसका पानी निकल ले । इस चांवल के पानी में अमलतास के जल को मिलाकर लेप तैयार करें , इस पेस्ट को लगाने से लाभ मिलता है ।

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पैर की एड़ी फटे हो तो पत्तियो को महीन पीसकर लेप तैयार करके परन्तु लेप लगाने से पहले एड़ियों को साफ कर लें और इसे नीम के पानी से साफ कर लेप लगाएं।

गले में टान्सिल /खरास या दर्द हो रहा हो तो अमलतास के छाल को काढ़ा बनाकर गरारा करें। इसके लिए 10 ग्राम अमलतास छाल के चार कप पानी को एक कप रहने तक उबालें और काढ़ा तैयार कर लें । शरीर में यदि दर्द हो तो इस काढ़े को सुबह-शाम खाली पेट लेने से आराम मिलता है ।

यदि कहीं चोट लगी हो या घाव हो तो नीम के पानी में धोकर इसके पत्तो का रस लगाने से बहुत आराम मिलता है । पत्तों को दूध के साथ पीसकर घाव पर लेपन करने से घाव शीघ्र भरते हैं।

उदावत या जब गैस नीचे से पास न होकर दकार के रूप में मुंह से निकल रही हो तो इसकी गूदी और हरर को समान भाग में लेकर 1 से 3 ग्राम जल के साथ लेने से बहुत आराम मिलता है ।

जिनको मल संचय या कौस्टीपीशन अथवा पेशाब पीला आ रही हो तो पंचांग यानी मूल की छाल , फूल फल , मज्जा पत्ते और तने का छाल का काढ़ा पिलाने से तुरन्त लाभ मिलता है ।

श्वास रोग में खांसी बुखार आने पर गूंद के काढ़े का इस्तेमाल जरूर करें। शरीर में यदि जलन हो तो 10 से 15 ग्राम गूदे को दूध में उबालकर लेपन करें और इस लेपन को कम से कम आधा घंटा लगाकर रखें।

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फेशियल पैरालिसिस में 10 से 15 पत्ते को पीसकर गुनगुना करके उसका पुल्टीप बनाकर साफ़ पट्टी बांधने से इस रोग में लाभ मिलता है ।

पीलिया में फली का गुदा और भुनी अमकी को पीसकर 5 ग्राम की मात्रा सुबह-शाम भोजन के बाद लेने से आराम मिलता है ।

Amaltas tree अमलतास के फूलों को गुलकंद बनाकर संग्रहित करना चाहिए क्योंकि ये गुलकंद कब्ज में बहुत आराम देता है । इसको मुनक्के के रस या दूध के साथ एक चम्मच यानी 10 ग्राम की मात्रा में सेवन करना चाहिए ।

शरीर में आर्म या टाॅक्सिक या पूरे शरीर में दर्द हो तथा छोटे जोड़ों में दर्द हो तो नित्य अल्प मात्रा में अमलतास मज्जा का सेवन करना चाहिए इससे पेट तो साफ होता है साथ ही पेट में मल संचय और अपच के हटने से टाॅक्सिक भी बाहर निकल जाता है।

इससे शरीर बहुत हल्कापन लगता है । बच्चों का पेट साफ न हो रहा हो और उसके कारण दर्द हो रहा हो तो फली की मज्जा निकालकर उसका लेप बनाकर नाभि के चारो तरफ लगा दें । इससे बहुत आराम मिलता हैं।

बुखार में यदि पेट साफ न हो तो इसका प्रयोग स्वतंत्र रूप से न करके सनाय के साथ करें इससे पेट साफ करते समय मरोड़ भी नहीं होती है ।

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अमलतास Amaltas tree के फूलों का गुलकंद

गुलकंद बनाने की विधि –

  • इसके लिए 250 ग्राम ताजे Amaltas tree अमलतास के फूल
  • 500 ग्राम मिश्री आधा चम्मच इलायची पाउडर ।

मिश्री व पुष्प एक कांच के बर्तन में , एक के ऊपर एक लेयर लगाकर रखें बीच में इलायची का पाउडर रखें। इसे 7 से 10 दिन के लिए रखे और समय – समय पर हिलाते रहें । जब तक गुलकंद तैयार न हो जाएं। अब इसका एक से डेढ़ ग्राम दूध के साथ सेवन करें ।

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