Expert Tips: विद्युत् धारा किसे कहते हैं | Vidyut dhara kise kahate hain

Vidyut dhara kise kahate hain – विद्युत आवेश के प्रवाह की समय दर को विद्युत धारा कहते हैं ।

अथवा

किसी चालक में विद्युत आवेश के प्रवाह की दर को विद्युत धारा कहते हैं ।

दूसरे शब्दों में vidyut dhara kise kahate hain

किसी चालक में प्रति सेकण्ड प्रवाहित विद्युत आवेश की मात्रा को विद्युत धारा कहते हैं । इसे ” I ” से प्रर्दशित करते हैं ।

यदि किसी चालक में t सेकण्ड में q कूलाॅम आवेश प्रवाहित होता है , तो चालक में बहने वाली धारा परिभाषा के अनुसार ,

विद्युत धारा ( I ) = आवेश/ समय

I = q/t

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विद्युत धारा की दिशा

किसी चालक में विद्युत धारा की दिशा उसमें प्रवाहित होने वाले धन आवेश की में होती है , अर्थात विद्युत धारा की दिशा इलेक्ट्रॉन के प्रवाह की दिशा के विपरीत दिशा में होती है । वास्तव में चालक से होकर धनावेशित कण प्रवाहित नहीं होते , केवल इलेक्ट्रॉन प्रवाहित होते हैं ।

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विद्युत धारा की तीव्रता

जब कोई विद्युत आवेश किसी चालक में प्रवाहित होता है , तो उसके प्रवाह की समय – दर को विद्युत धारा की तीव्रता कहते हैं । इसका मान किसी चालक की अनुप्रस्थ काट को प्रति सेकण्ड प्रवाहित होने वाले आवेश के बराबर होता है ।

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माना किसी चालक की अनुप्रस्थ काट में t समय में Q आवेश प्रवाहित होता है , तब उस चालक में प्रवाहित होने वाली धारा

I = Q/t अथवा Q = I × t

आवेश = विद्युत धारा × समय

विद्युत धारा का मात्रक SI पध्दति में विद्युत धारा का मात्रक ऐम्पियर हैं । विद्युत धारा के मात्रक ऐम्पियर को A से प्रदर्शित करते हैं ।

विद्युत धारा ( I ) = विद्युत आवेश (Q) / समय ( t )

यदि t = 1 सेकण्ड , q = 1 कूलाॅम , तो I = 1 ऐम्पियर ।

अत: यदि किसी परिपथ में 1 सेकण्ड में 1 कूलाॅम आवेश प्रवाहित हो, तो परिपथ में प्रवाहित विद्युत धारा 1 ऐम्पियर होगी ।

1 ऐम्पियर = 6250,000,000,000,000,000 इलेक्ट्रॉन प्रति सेकण्ड होता है ।

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विद्युत धारा का मापन

विद्युत धारा के सतत् और बंद पथ को विद्युत परिपथ कहते हैं । अर्थात ऐसा रास्ता जिसमें लगातार विद्युत धारा बहती है और बंद पथ पर विद्युत धारा तारों के अंदर बहती है तो ऐसे पथ या रास्ते को विद्युत परिपथ कहते हैं ।

विद्युत धारा को मापने के लिए जिस यंत्र का प्रयोग किया जाता है उसे ऐमीटर /अमीटर कहते हैं ।अमीटर बहुत कम प्रतिरोध का धारामापी होता है ।

ऐमीटर को परिपथ में श्रेणी क्रम में इस प्रकार जोड़ते हैं कि ऐमीटर के ( + ) टर्मिनल का संबन्ध सदैव सेल अथवा बैटरी के ( + ) टर्मिनल से हो कुंजी K को बंद करने पर विद्युत परिपथ पूरा हो जाता है और परिपथ में धारा प्रवाहित होने लगती है ।

इस स्थिति में ऐमीटर का संकेतक घूमकर पैमाने पर विद्युत धारा की माप ऐम्पियर में बताता है।

परिपथ में अमीटर का प्रयोग करते समय सावधानियां

( 1 ) अमीटर के ( + ) टर्मिनल का संबन्ध सदैव सेल अथवा बैटरी के ( + ) टर्मिनल से ही करना चाहिए ।

( 2 ) ऐमीटर को परिपथ में बिना प्रतिरोध लगाये सीधे सेल अथवा बैटरी से नहीं जोड़ना चाहिए ।

( 3 ) परिपथ में धारा प्रवाह करने से पहले परिपथ में लगे धारा नियन्त्रक को अधिकतम प्रतिरोध की स्थिति में कर लेना चाहिए ।

( 4 ) ऐमीटर को परिपथ में सदैव श्रेणी क्रम में लगाना चाहिए ।

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