Mobile ka Avishkar kisne kiya
Mobile ka avishkar kisne kiya 3 अप्रैल सन् 1973 को अमेरिकी इंजीनियर मार्टिन कूपर ( Martin Cooper ) ने दुनिया का पहला मोबाइल फोन बनाया जो कि आम लोगों के लिए बनाया गया था । इससे पहले रेडियोफोन और वायरलेस फोन भी उपलब्ध थे । जिसका इस्तेमाल अधिकतर फौज के लिए किया जाता था ।
मार्टिन कूपर ने पहला काॅल मैनहैटन में स्थित अपने ऑफिस से न्यूजर्सी में स्थित बेल लैब के मुख्यालय में काॅल किया था ।
मार्टिन कूपर ने मोटोरोला कम्पनी के साथ मिलकर इस मोबाइल फोन का निर्माण किया तथा बाद में वे इस कम्पनी के CEO भी बने । मार्टिन कूपर को दुनिया के पहले मोबाइल फोन के निर्माण के कारण सन् 2013 में संचार के क्षेत्र में किये गये विलक्षण कार्य के लिए मार्कोनी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
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Mobile ka avishkar kisne kiya दुनिया के पहली कमर्शियल सेल्युलर फोन सेवा सन् 1979 में NTT नामक जापानी कम्पनी ने टोक्यो में शुरू की थी । इसके बाद सन् 1981 में डेनमार्क , फिनलैंड , नार्वे , स्वीडन में मोबाइल फोन सेवाएं शुरू हुई थी । जिसका नाम था नार्विक मोबाइल टेलीफोन सर्विस ।
सन् 1983 में अमेरिका के सिकागो शहर में अमेरीटेक नाम से नव जी ( 1G ) टेलीफोन नेटवर्क की शुरुआत हुई थी ।
भारत में पहली मोबाइल सेवा 15 अगस्त सन् 1995 को दिल्ली में गैर व्यावसायिक तौर पर शुरू की गई थी । आज हम जहां स्लीम व हल्के मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं वहीं दुनिया का सबसे पहला मोबाइल फोन का वजन 1.1 किलोग्राम था । साथ ही यह मोबाइल 13 सेंटीमीटर मोटा और 4.45 सेंटीमीटर चौड़ा था ।
जिसकी तुलना ईंट या जूते से की जाती थी । जहां आज के मोबाइल फोन को चार्ज होने में 15 से 20 मिनट का समय लगता है और इसकी बैकअप क्षमता भी एक से दो दिन तक होता है । वहीं दुनिया के पहले मोबाइल फोन को पूरी तरह चार्ज होने में 10 घण्टे का समय लगता था और इसके बाद भी यह सिर्फ 20 मिनट तक ही चल पाता था ।पहले मोबाइल फोन बैटरी का वजन आज की तुलना में 4 से 5 गुना ज्यादा था ।
सन् 1983 में मोटोरोला कम्पनी ने पहले जिस मोबाइल हेंडसेट को बाजार में उतारा था उसकी कीमत लगभग दो लाख रुपए (2,00,000₹) थी । इस मोबाइल हेंडसेट का नाम था डायना टेक एट हंड्रेड एक्स ( Diana tech 800x ) । सन् 1979 में फर्स्ट जनरेशन टेक्नोलॉजी की शुरुआत जापान में हुआ था ।
जिसकी सहायता से एक बार में कई लोग एक साथ काॅल कर सकते थे । सन् 1991 में 2G टेक्नोलॉजी की शुरुआत फिनलैंड में हुई थी ।
2G टेक्नोलॉजी की शुरुआत के पूरे 10 साल बाद 2001 में 3G टेक्नोलॉजी आयी । फिर जापान की कम्पनी NTT डोकोमो ने किया था ।
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1G से 5G तक की तकनीकी विकास Mobile ka avishkar kisne kiya
1G Or 1st Generation ( 1 जी या पहली पीढ़ी )
Mobile ka avishkar kisne kiya – 1G तकनीक सन् 1980 में आयी , इसका इस्तेमाल 1992-93 तक चलता रहा । इसमें डेटा स्पीड 2.4 kbps थी । जहां kbps का मतलब किलो बिट पर सेकण्ड होता है । इस तकनीक की बड़ी खामी रोमिंग का न होना था । पहली बार अमेरिका में 1G मोबाइल में इस तकनीक का उपयोग किया था ।
इस मोबाइल फोन पर आवाज की क्वालिटी काफी खराब थी साथ ही यह बैटरी भी बहुत खपत करता था । इस तकनीक पर चलने वाली मोबाइल हैंडसेट बेहद भारी हुआ करता था ।यह ऐनालाॅग सिग्नल पर आधारित तकनीक थी ।
2G अर्थात दूसरी पीढ़ी
2G तकनीक की शुरुआत 1991 में फिनलैंड में हुई थी । यह ग्लोबल सिस्टम फाॅर मोबाइल कम्युनिकेशन पर आधारित तकनीक है जिसे संक्षिप्त में GSM तकनीक कहा जाता है । इस तकनीक में पहली बार डिजिटल सिग्नल का प्रयोग किया गया । इस तकनीक के आधार पर पिक्चर मैसेज ( picture massage ), टेक्स्ट मैसेज ( Text massage ) और मल्टीमीडिया मैसेज ( Multimedia massage ) भेजा जाने लगा ।
इस तकनीक की सबसे बड़ी खूबी यह थी कि इसे इस्तेमाल करने में काफी कम ऊर्जा की खपत होती थी और फोन की बैटरी बहुत ज्यादा चलती थी । इस तकनीक पर डेटा की आने जाने की स्पीड 50 हजार बिट पर सेकण्ड हो सकती थी । यह तकनीक मुख्य रूप से आवाज की सिग्नल को प्रसारित करती थी । 2G तकनीक से डाउनलोड की अधिकतम रफ़्तार 236 kbps होती है । इसके एडवांस वर्जन 2G : 2.5G और 2.7G नाम दिया गया था ।
जिसमें डेटा की अदान – प्रदान से डेटा की रफ्तार और भी बढ़ गयी थी ।
3G अर्थात तीसरी पीढ़ी
3G तकनीक की शुरुआत 1998 में जापान में हुई थी । इस तकनीक का मानकीकरण ITU यानी International Telecommunication Union ने किया था । इस तकनीक के माध्यम से टेक्स्ट इमेज़ , और विडियो के अलावा मोबाइल टेलीविजन और विडियो काॅल वह विडियो कान्फ्रेसिंग भी किया जा सकता है ।
इस तकनीक से दुनिया में क्रांति ला दी और मोबाइल फोन की अगली पीढ़ी यानि स्मार्ट फोन को बढ़ावा दिया 3G तकनीक में डेटा आने – जाने की रफ्तार 40 लाख बिट पर सेकण्ड तक होती है । 3G तकनीक का जोर मुख्य रूप से डेटा ट्रांसफर पर है । 2G तकनीक के मुकाबले 3G तकनीक की अहम खासियत यह है कि ऑकड़ो के आदान-प्रदान के लिए अधिक सुरक्षित हैं ।
3G तकनीक की मदद से डाउनलोड स्पीड 1Mbps और अपलोड की स्पीड 5.7 Mbps के आस पास होता है । इस तकनीक से मोबाइल पर एप्लिकेशन ( ऐप ) का रास्ता खोल दिया ।
4G अथवा चौथी पीढ़ी
4G तकनीक की शुरुआत साल 2000 के अंत में हुई । इसे मोबाइल तकनीक की चौथी पीढ़ी या फिर फोर्थ जेनरेशन कहा जाता है । इस तकनीक के माध्यम से 100 Mbps तक की स्पीड से डेटा को डाउनलोड या फिर अपलोड किया जा सकता है । यह ग्लोबल वार्मिंग को सपोर्ट करता है ।
यह 3G के मुकाबले कई सस्ती तकनीक है । साथ ही इसमें सेक्योरीटी फिचर्स भी ज्यादा है । 4G तकनीक की सबसे बड़ी खूबी ये है कि इसमें खराब से खराब नेटवर्क में भी कम से कम 54 Mbps की रफ्तार मिल सकती है ।
5G अथवा पांचवीं पीढ़ी
5G तकनीक की शुरुआत साल 2010 में हुई। इसे मोबाइल नेटवर्क की पांचवीं पीढ़ी या फिफ्थ जनरेशन भी कहा जाता है । यह Wireless wild Web mobile internet को ध्यान में रखकर बनाया गया है । इस तकनीक में बड़े पैमाने पर डेटा का आदान-प्रदान किया जा सकता है । इस तकनीक से विडियो काॅल के क्षेत्र में क्रांति आ जाएगी ।
इस तकनीक से अल्ट्रा हाई डेफिनेशन क्वालिटी के आवाज का प्रसारण किया जा सकता है । इस तकनीक से डेटा स्पीड 1 Gbps से अधिक स्पीड से डेटा की आवा – जाही हों सकती है । हालांकि अभी तक इसकी अधिकतम स्पीड डिफाइन नहीं की गई है । इस तकनीक की सबसे बड़ी खूबी रियल टाइम में बड़े से बड़ा डेटा का आदान-प्रदान करना होगा ।
Telephone का आविष्कार
मोबाइल फोन के आविष्कार से पहले टेलीफोन का आविष्कार हो चुका था । इसकी खोज अलेक्जेंडर ग्राहम बेल नामक वैज्ञानिक ने 2 जून सन् 1875 में किया था । जिसका पेटेंट 7 मार्च सन् 1876 करने के लिए अमेरिका में कर दिया था । पेटेंट फाइल करने के दो घण्टे बाद एलिसा ग्रे नामक वैज्ञानिक भी इस तकनीक को अपना आविष्कार होने का दावा किया ।
इन्होंने ग्राहम बेल के खिलाफ कोर्ट में याचिका दाखिल किया । 1877 अमेरिका के हाईकोर्ट ने ग्राहम बेल के फेवर में फैसला सुनाया । ग्राहम बेल ने सन् 1915 न्यूयॉर्क में सेन फ्रांसिस्को के बीच बड़ी टेलीफोन लाइन बिछवाई जिसका उद्घाटन ग्राहम बेल ने किया । 2 अगस्त सन् 1922 को कनाडा में इनकी मृत्यु हो गई । इनके सम्मान में अमेरिका के सभी फोन काॅल को दो मिनट लिए बंद कर दिया गया था ।
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