mahatma gandhi per nibandh | mahatma gandhi nibandh | gandhi ji per nibandh |
विवरण:-
- प्रस्तावना
- महात्मा गांधी जी का जन्म स्थान
- गांधी जी कि शिक्षा
- गांधी जी द्वारा आजादी के लिए निभाया गया कर्तव्य
- गांधी जी द्वारा किए गए आन्दोलन
- गांधी जी के अनमोल विचार
- गांधी जी द्वारा रचित पुस्तके
- गांधी जी कि मृत्यु
- उपसंहार
प्रस्तावना ( mahatma gandhi per nibandh )
भारत महापुरुषों का एक महान देश है। अनेक महापुरुषों ने मिलकर हमारे इस भारत देश कि इतिहास कि शोभा बढ़ाई है, लेकिन महात्मा गांधी (बापू) एक ऐसे। महापुरुष हैं जिन्होंने देश को आजादी दिलाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। महात्मा गांधी और अनेकों महापुरुषों के बलिदानों के द्वारा भारत आजाद हुआ है। सरदार वल्लभ भाई पटेल,जवाहरलाल नेहरू, सुभाष चन्द्र बोस,बाल गंगाधर तिलक, महात्मा गांधी आदि ने हमारे इस भारत देश कि इतिहास कि शोभा बढ़ाई है।महात्मा गांधी जी को महात्मा उनके महान कार्यों के लिए कहा जाता है।
महात्मा गांधी जी का जन्म स्थान ( mahatma gandhi nibandh )
महात्मा गांधी जी का पुरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है। उनके पिता जी का नाम करमचंद गांधी है और माता जी का नाम पुतलिबाई गांधी है। महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान में हुआ था। महात्मा गांधी जी कि माता करमचंद गांधी जी की चौथी पत्नी थीं।
महात्मा गांधी जी के पिता जी कठियावाड के छोटे से रियासत (पोरबंदर) के दिवान थे। महात्मा गांधी जी की माता अति सरल स्वभाव की थी। गांधी जी कि शादी लगभग 13 वर्ष की आयु में उनके हम उम्र की कस्तुरबा से करा दिया गया।
गांधी जी कि शिक्षा ( gandhi ji per nibandh )
गांधी जी कि शिक्षा का आरंभ पोरबंदर से हूआ। गांधी जी पढ़ाई करते समय अपने आप में कमियां ढूंढने की कोशिश करते थे। जिससे गांधी जी ने अपने आप को गणित विषय में कमजोर पाया। पोरबंदर में शिक्षा प्राप्त करने के बाद लगभग 7(सात) वर्ष की आयु में उनका पूरा परिवार काठियावाड़ चलें गए। रियासत के राजकोट में आकर बस गए।
गांधी जी के पिता को वहां का दिवान बना दिया गया। काठियावाड़ में उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा पूर्ण किया। इसके पश्चात् उन्होंने हाईस्कूल में प्रवेश लिया। गांधी जी के पिता ने उन्हें आगे की पढ़ाई के अहमदाबाद भेज दिया। अहमदाबाद में पढ़ाई पूर्ण होने के बाद उन्हें वकालत की पढ़ाई के लिए लंदन भेज दिया गया। जहां पर उन्होंने अपनी वकालत की पढ़ाई को पूर्ण किया।
महात्मा गाँधी मैट्रिक पास करने के पश्चात् इंग्लैण्ड चले गए जहाँ उन्होंने न्यायशास्त्र का अध्ययन किया । इसके बाद इन्होंने अधिवक्ता के रूप में कार्य प्रारम्भ कर दिया । वह भारत एक बैरिस्टर बनकर वापस आए और मुम्बई में अधिवक्ता के रूप में कार्य करने लगे ।
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गांधी जी द्वारा आजादी के लिए निभाये गए कर्तव्य
गांधी जी ने हमारे इस भारत देश को आजादी दिलाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।सबसे पहले गान्धी जी ने प्रवासी वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के लोगों के नागरिक अधिकारों के लिये संघर्ष हेतु सत्याग्रह करना आरम्भ किया।
1915 में उनकी भारत वापसी हुई। अधीन भारत के लिए गोपाल कृष्ण गोखले के अनुरोध पर 1915 में गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे। गांधी जी देश कि आजादी के लिए कभी पीछे नहीं हटे उन्होंने इसका दटकर सामना किया। गांधी जी ने देश को आजाद कराने के लिए बहुत प्रयास किया। गांधी जी जिसमें बखुबी सफल हुए।
उन्हें संसार में साधारण जनता महात्मा गांधी के नाम से जानती है। गांधी को महात्मा के नाम से सबसे पहले 1915 में राजवैद्य जीवराम कालिदास ने संबोधित किया था। बहुत सारे आन्दोलन में महात्मा गांधी जी का महत्वपूर्ण योगदान रहा। गांधी जी द्वारा किए गए |
आन्दोलन ( mahatma gandhi per nibandh )
असहयोग आंदोलन-
1920 से महात्मा गांधी तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चलाया गया था। इस आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई जागृति प्रदान की। गांधी जी का मानना था कि ब्रिटिश हाथों में एक उचित न्याय मिलना असंभव है इसलिए उन्होंने ब्रिटिश सरकार से राष्ट्र के सहयोग को वापस लेने की योजना बनाई और इस प्रकार असहयोग आंदोलन की शुरुआत की गई।
नमक सत्याग्रह –
महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए अनेकों आंदोलनों में से नमक सत्याग्रह सबसे महत्वपूर्ण था। बता दें कि महात्मा गांधी ने 12 मार्च, 1930 में साबरमती आश्रम जो कि अहमदाबाद स्थित है, दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला था। बता दें कि उन्होंने यह मार्च नमक पर ब्रिटिश राज के एकाधिकार के खिलाफ निकाला था।
दलित आंदोलन-
महात्मा गांधी जी ने 8 मई 1933 से छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरुआत की थी। जबकि गांधी जी ने अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना 1932 में की थी।
भारत छोड़ो आंदोलन –
अगस्त 1942 में गांधी जी ने ”भारत छोड़ो आंदोलन” की शुरुआत की तथा भारत छोड़ कर जाने के लिए अंग्रेजों को मजबूर करने के लिए एक सामूहिक नागरिक अवज्ञा आंदोलन ”करो या मरो” आरंभ करने का निर्णय लिया।
चंपारण सत्याग्रह –
चंपारण आंदोलन भारत का पहला नागरिक अवज्ञा आंदोलन था जो बिहार के चंपारण जिले में महात्मा गांधी की अगुवाई में 1917 को शुरू हुआ था। इस आंदोलन के माध्यम से गांधी ने लोगों में जन्में विरोध को सत्याग्रह के माध्यम से लागू करने का पहला प्रयास किया जो ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आम जनता के अहिंसक प्रतिरोध पर आधारित था।
गांधी जी के अनमोल विचार
• बापू ने कहा कि स्वास्थ्य ही असली संपत्ति है, न कि सोना
और चांदी।
• आप जो करते हैं वह नगण्य होगा. लेकिन आपके लिए
वह करना बहुत अहम है।
• धैर्य का छोटा हिस्सा भी एक टन उपदेश से बेहतर है |
• ताकत शारीरिक शक्ति से नहीं आती है. यह अदम्य
इच्छाशक्ति से आती है |
• कोई कायर प्यार नहीं कर सकता है; यह तो बहादुर की
निशानी है |
• व्यक्ति अपने विचारों के सिवाय कुछ नहीं है | वह जो
सोचता है, वह बन जाता है |
गांधी जी द्वारा रचित पुस्तके
• सच्चाई भगवान है
• मेरे सपनों का भारत
• गिता का संदेश
• कानून और वकील
• हिन्दी स्वराज
• स्वास्थ्य की कुंजी
• पंचायत राज
• शिक्षा पर मेरे विचार
• शाकाहार के नैतिक आधार
गांधी जी की मृत्यू ( mahatma gandhi per nibandh )
मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 की शाम को नई दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में गोली मारकर की गयी थी। वे रोज शाम वहां प्रार्थना किया करते थे। 30 जनवरी 1948 की शाम जब वे संध्याकालीन प्रार्थना के लिए जा रहे थे तभी नाथूराम गोडसे उनके पैर छूने का अभिनय करते हुए उनके सामने गए और उनपर बैरेटा पिस्तौल से तीन गोलियाँ दाग दीं। उस समय गांधी अनुचरों से घिरे हुए थे।
उपसंहार ( mahatma gandhi per nibandh )
गांधीजी ने अपना सब कुछ न्योछावर कर भारत का नवनिर्माण किया। वे भारत में ही नहीं, सारे विश्व में अपने कार्यों से चर्चे में रहे। ऐसे महान देशभक्त और महामानव को आज भी सभी लोग याद करते है। महात्मा गांधी भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनीतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे।
विश्व पटल पर महात्मा गांधी सिर्फ एक नाम नहीं अपितु शांति और अहिंसा का प्रतीक हैं। मोहनदास करमचंद गांधी भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनीतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे।
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