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पर्यावरण किसे कहते है?
पर्यावरण का शाब्दिक अर्थ होता होता है परी + आवरण अर्थात पर्यावरण | पर्यावरण शब्द ‘Environ’ से उत्पन्न हुआ है और Environ का शाब्दिक अर्थ है घिरा हुआ अथवा आवृत्त। यह जैविक और अजैविक अवयव का ऐसा समिश्रण है, जो किसी भी जीव को अनेक रूपों से प्रभावित कर सकता है। अब प्रश्न यह उठता है कि कौन किसे आवृत किए हुए है। इसका उत्तर है समस्त जीवधारियों को अजैविक या भौतिक पदार्थ घेरे हुए हैं। अर्थात हम जीवधारियों के चारों ओर जो आवरण है उसे पर्यावरण कहते हैं। पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के अनुसार- पर्यावरण किसी जीव के चारों तरफ घिरे भौतिक एवं जैविक दशाएं एवं उनके साथ अंतःक्रिया को सम्मिलित करता है।
पर्यावरण हमारे जीवन का मूल आधार है | यह हमें साँस लेने के लिए हवा, पीने के लिए पानी, खाने के लिए भोजन एवं रहने के लिए भूमि प्रदान करता है |
Paryavaran par nibandh hindi mein ( पर्यावरण पर निबंध )
भूमि, जल, वायु, पेड़-पौधे एवं जीव-जंतु मिलकर प्राकृतिक पर्यावरण बनाते है | स्थळमंडल, जलमंडल, वायुमंडल एवं जैवमंडल ये सब भी पर्यावरण के मुख्या घटक है |
पृथ्वी की ठोस परपट्टी या कठोर ऊपरी परत को स्थलमंडल कहते है | यह चट्टानों एवं खनिजों से बना होता है एवं मिटटी की पतली परत से ढाका होता है | यह पहाड़, पथार, घाटी आदी जैसे विभिन्न स्थलाकृतियों वाला विषम धरातल होता है | ये स्थलाकृतिया महाद्रीपो के अलावा महासागर की सतह पर भी पाया जाता है |
स्थलमंडल वह छेत्र है, जो हमें वन, कृषि एवं मानव बस्तियो के लिए भूमि, पसुवो को चराने के लिए घासस्थल प्रदान करता है | यह खनिज सम्पदा का भी एक स्त्रोत है |
जल के छेत्र को जल मंडल कहते है | यह जल के विभिन्न स्त्रोतों जैसे- नदी, झील, समुद्र, महासागर आदि जैसे विभिन्न जलाशयो से मिलकर बनता है | जलमंडल सभी प्राणियों के लिए आवश्यक है |
पृथ्वी के चारो ओर फैली वायु की पतली परत को वायुमंडल कहते है | पृथ्वी का गुरुत्वाकर्सन बल अपने चारो और के वायुमंडल को थामे रखता है | यह सूर्य की झुलसती गर्मी से हमारी रक्षा करता है | वायुमंडल में कई प्रकार के गैस, धूल-कण एवं जलवाष्प उपस्थित रहता है | वायुमंडल में परिवर्तन होने से मौसम एवं जलवायु में परिवर्तन होता है |
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मानव इस प्राकृतिक पर्यावरण में कैसे परिवर्तन करता है ?
एक तरफ विज्ञान से प्रोद्यौगिकी का विकास हुआ, तो वहीं दूसरी तरफ उद्योंगों से निकलने वाला धुआं और दूषित पदार्थ कई तरह के प्रदूषण को जन्म दे रहा है और पर्यावरण के लिए खतरा पैदा कर रहा है।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि विज्ञान की उन्नत तकनीक ने मनुष्य के जीवन को बेहद आसान बना दिया है, वहीं इससे न सिर्फ समय की बचत हुई है बल्कि मनुष्य ने काफी प्रगति भी की है, लेकिन विज्ञान ने कई ऐसी खोज की हैं, जिसका असर पर्यावरण पर पड़ रहा है, और जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है।
उद्योगों से निकलने वाला दूषित पदार्थ सीधे प्राकृतिक जल स्त्रोत आदि में बहाए जा रहे हैं, जिससे जल प्रदूषण की समस्या पैदा हो रही है,इसके अलावा उद्योगों से निकलने वाले धुंए से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, जिसका मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
उपसंहार
पर्यावरण हमारे लिए बहुत आवश्यक है | हमें पर्यावरण की रक्षा के लिए कड़े से कड़े कानून बनाने चाहिए तथा हम सभी को एक अच्छे इन्शान की तरह पर्यावरण की रक्षा करने का संकल्प लेना चाहिए |
पर्यावरण पर निबंध 250 शब्द pdf
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