कारक किसे कहते हैं (Karak Kise Kahate Hain) – परिभाषा एवं कारक चिह्न

हम इस पोस्ट में Karak Kise Kahate Hain के बारे में जानने वाले है |

Table of Contents

कारक की परिभाषा

कारक वाक्य में किसी व्यक्ति या वस्तु के संबंध को दर्शाते हैं जैसे कि क्रिया का करने वाला, करने की जगह, करने का समय और किस के लिए कार्य किया जा रहा है। इसे हिंदी व्याकरण में “कर्ता, कर्म, करण, संबंध, अव्यय, विशेषण” के नाम से भी जाना जाता है।

इसके विभिन्न प्रकार होते हैं जैसे कि –

  1. कर्ता कारक – जो वाक्य में किसी क्रिया का करने वाला व्यक्ति या समूह को दर्शाता है। उदाहरण: “राम ने खाना खाया।” यहां, “राम” कर्ता कारक है।
  2. कर्म कारक – जो वाक्य में किसी क्रिया के विषय में बताता है। यह वह शब्द होता है जिसे क्रिया करता है। उदाहरण: “राम ने खाना खाया।” यहां, “खाना” कर्म कारक है।
  3. करण कारक – जो वाक्य में किसी कार्य के करने का तरीका या उपकरण बताता है। उदाहरण: “राम ने चाय को एक कप में डाला।” यहां, “एक कप में” करण कारक है।
  4. संबंध कारक – जो वाक्य में किसी व्यक्ति या वस्तु के संबंध को बताता है।
Karak Kise Kahate Hain
Karak Kise Kahate Hain

कारक किसे कहते हैं और उसके भेद – Karak Kise Kahate Hain Karak Ke Kitne Bhed Hai

कारक किसे कहते हैं – Karak Kise Kahate Hain

कारक संज्ञा, विशेषण, विशेषण-भाव या क्रिया के साथ उस शब्द के सम्बन्ध को स्पष्ट करने वाले शब्द होते हैं। ये शब्द वाक्य में उपसर्ग, कर्ता, क्रिया, उद्देश्य, अवस्था और समय के संबंध में संज्ञा या क्रिया के साथ जुड़े होते हैं।

इनके माध्यम से वाक्य में सम्बन्ध बताया जाता है कि किस कारण या कैसे कुछ हो रहा है। उदाहरण के लिए, वाक्य “राम ने गीता को एक पुस्तक दी” में, “राम” कार्ता, “गीता” संज्ञा, “पुस्तक” कारक है। इस वाक्य में “पुस्तक” शब्द कारक होता है, क्योंकि यह बताता है कि राम ने किसे दी है।

कारक चिह्न – Karak Chinh in Hindi

कारक चिह्न वाक्य में कारकों के पहचानने के लिए उपयोग किए जाने वाले चिह्न होते हैं। हिंदी व्याकरण में, निम्नलिखित चार प्रमुख कारक चिह्न होते हैं:

कारककारक चिह्न
कर्ता कारक“को”
कर्म कारक“कर”
संबंध कारक“से”
अधिकरण कारक“के लिए”
कारक चिह्न – Karak Chinh in Hindi

उपरोक्त चिह्नों का उपयोग करके हम वाक्य में कारकों को पहचान सकते हैं और समझ सकते हैं कि कौन सा कारक किस शब्द के साथ जुड़ा हुआ है।

परसर्ग किसे कहते हैं – Parsarg Kise Kahate Hain

प्रत्यय या उपसर्ग जो किसी शब्द के साथ जुड़कर उसके अर्थ को पूर्णतया बदल देते हैं उन्हें परसर्ग कहते हैं। हिंदी भाषा में प्रत्यय और उपसर्ग शब्दों का उपयोग अक्सर शब्दों के अर्थ को विस्तारित करने या संशोधित करने के लिए किया जाता है। उपसर्ग शब्द किसी शब्द के पहले आते हैं जबकि प्रत्यय शब्द किसी शब्द के अंत में लगाये जाते हैं।

उदाहरण के लिए, “आगंतुक” शब्द में “आ” उपसर्ग है और “गंतुक” शब्द प्रत्यय है। “अच्छाई” शब्द में “अ” उपसर्ग है और “छाई” शब्द प्रत्यय है।

परसर्ग शब्द शब्दों के अर्थ में परिवर्तन लाते हैं इसलिए वे भाषा के संबोधन में बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।

कारक कितने और कौन-कौन से होते हैं – Karak Kitne Aur Kon Kon Se Hote Hai

हिंदी व्याकरण में, पाँच प्रकार के कारक होते हैं:

  1. कर्ता कारक – जो किसी काम के करने वाले को बताता है। उदाहरण: मैं आमिर से मिला। यहां ‘मैं’ कर्ता कारक है।
  2. कर्म कारक – जो काम करने वाले का काम बताता है। उदाहरण: मैं आमिर से मिला। यहां ‘मिला’ कर्म कारक है।
  3. संबंध कारक – जो किसी सम्बन्ध को बताता है। उदाहरण: मैं गाड़ी से गया। यहां ‘गाड़ी से’ संबंध कारक है।
  4. अधिकरण कारक – जो काम के होने के स्थान को बताता है। उदाहरण: मैं दुकान से चाय लाया। यहां ‘दुकान से’ अधिकरण कारक है।
  5. सम्पर्क कारक – जो काम के होने का समय या अवस्था बताता है। उदाहरण: मैं शाम को ट्रेन से गया। यहां ‘शाम को’ सम्पर्क कारक है।

इन पाँचों कारकों के माध्यम से हम वाक्य में उपस्थित कारकों को पहचानते हैं और वाक्य का सही अर्थ निकालते हैं।

कर्ता कारक किसे कहते हैं  – Karta Karak Kise Kahate Hain

कर्ता कारक हिंदी वाक्य में वह कारक होता है, जो किसी काम के करने वाले व्यक्ति को बताता है। यह वाक्य में किसी व्यक्ति या समूह के स्वतंत्र कर्म का प्रतिनिधित्व करता है। उदाहरण के लिए निम्नलिखित वाक्य में “राम” कर्ता कारक है:

  • राम ने एक किताब खरीदी।

इस वाक्य में “राम” ने किताब खरीदी है, जो काम के करने वाले का नाम है। इसलिए “राम” कर्ता कारक है।

कर्ता कारक के उदाहरण – Karta Karak Ke Udaharan

कर्ता कारक हिंदी वाक्य में वह कारक होता है, जो किसी काम के करने वाले व्यक्ति को बताता है। नीचे कुछ उदाहरण दिए गए हैं:

  1. रोहन ने फल खरीदा।
  2. जया ने घर की सफाई की।
  3. रमेश ने अपने दोस्त से मदद मांगी।
  4. वह लोग ट्रेन में सफर करते हुए अपनी बातें कर रहे थे।
  5. समय बिताते हुए हम आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करते हैं।

इन सभी वाक्यों में, रोहन, जया, रमेश, लोग और हम कार्ता कारक हैं, क्योंकि वे सभी किसी काम के करने वाले हैं।

कर्म कारक किसे कहते हैंKarm Karak Kise Kahate Hain

कर्म कारक हिंदी वाक्य में वह कारक होता है, जो किसी काम के होने वाले प्रभाव को बताता है। इसका प्रयोग किसी कार्य द्वारा उत्पन्न होने वाले परिणाम का बोध कराने के लिए किया जाता है। इसके अलावा कर्म कारक से किसी के द्वारा किए गए कार्य का परिणाम भी जाना जा सकता है। उदाहरण के लिए निम्नलिखित वाक्य में “लिखा गया” कर्म कारक है:

  • वह पत्र लिखा गया।

इस वाक्य में “लिखा गया” बताता है कि उस पत्र को लिखने का काम किया गया था। इसलिए “लिखा गया” कर्म कारक है।

कर्म के दो भेद – Karm Karak Ke Bhad

हिंदी व्याकरण में कर्म के दो भेद होते हैं:

  1. सकर्मक कर्म (Transitive Verbs): सकर्मक कर्म वे क्रियाएँ होती हैं, जिन्हें करने वाले कर्ता वस्तु को किसी अन्य कर्ता या वस्तु पर अभिव्यक्त करते हैं। इस प्रकार के क्रियाओं में कर्म कारक का प्रयोग होता है। उदाहरण के लिए:
  • राम ने एक पुस्तक खरीदी।
  • मेरी माँ ने मुझे एक स्कूल भेजा।
  • वह लड़का अपनी बाइक की सफाई की।

इन वाक्यों में “खरीदी”, “भेजा” और “की” सकर्मक क्रियाएँ हैं और “पुस्तक”, “मुझे” और “बाइक” कर्म हैं जिनका प्रयोग कर्ता के द्वारा किए गए कार्य का विवरण देने के लिए हुआ है।

  1. अकर्मक कर्म (Intransitive Verbs): अकर्मक कर्म वे क्रियाएँ होती हैं, जो कर्ता को किसी अन्य कर्ता या वस्तु पर अभिव्यक्त नहीं करते हैं। इस प्रकार के क्रियाओं में कर्म कारक का प्रयोग नहीं होता है। उदाहरण के लिए:
  • वह सो रहा है।
  • मैं नच रहा हूँ।
  • बादल घिर रहे हैं।

इन वाक्यों में “सो रहा है”, “नच रहा हूँ” |

कर्म कारक के उदाहरण – Karam Karak Ke Udaharan

कर्म कारक के उदाहरण हैं:

  1. राम ने एक पुस्तक खरीदी।
  2. मेरी माँ ने मुझे एक स्कूल भेजा।
  3. वह लड़का अपनी बाइक की सफाई की।
  4. उसने मुझे एक नई गुड़िया दी।
  5. मैंने उसे एक किताब लौटाई।
  6. वह बच्चे को एक बालूक कहानी सुनाई।
  7. अमित ने अपनी नई गाड़ी ख़रीदी है।
  8. मैंने उसे एक नयी फ़िल्म देखाई है।

इन वाक्यों में “खरीदी”, “भेजा”, “की”, “दी”, “लौटाई”, “सुनाई”, “ख़रीदी” और “देखाई” सकर्मक क्रियाएँ हैं और “पुस्तक”, “मुझे”, “बाइक”, “गुड़िया”, “किताब”, “बालूक” और “फ़िल्म” कर्म हैं। इन वाक्यों में कर्म कारक का प्रयोग कर्ता के द्वारा किए गए कार्य का विवरण देने के लिए हुआ है।

संबंध कारक किसे कहते हैं – Sambandh Karak Kise Kahate Hain

संबंध कारक वाक्य के विभिन्न भागों के मध्य संबंध या जोड़ने का कारक होता है। इसके द्वारा वाक्य में विवरण दिया जाता है कि दो या अधिक वस्तुओं के बीच कैसा संबंध है।

संबंध कारक के प्रमुख उदाहरण निम्नलिखित हैं:

  1. राम के बच्चों को स्कूल भेज दिया।
  2. सौरभ ने अपने दोस्त से पैसे उधार लिए।
  3. मेरी बहन ने मुझसे मेरे जन्मदिन पर एक उपहार दिया।
  4. श्रेया ने सौरभ को एक पुस्तक दी।
  5. उसने अपने परिवार से दूर रहने का फैसला किया।

इन वाक्यों में “के बच्चों को”, “से पैसे”, “मुझसे”, “को”, “से दूर” संबंध कारक हैं, जो दो या अधिक वस्तुओं के बीच संबंध दर्शाते हैं।

अधिकरण कारक किसे कहते हैं – Adhikaran Karak Kise Kahate Hain

अधिकरण कारक, किसी कार्य के करने वाले व्यक्ति के साथ संबंधित होता है जो इस कार्य के लिए ज़िम्मेदार होता है। यह कारक वाक्य के अन्य कारकों की जगह पर आता है।

अधिकरण कारक के प्रमुख उदाहरण निम्नलिखित हैं:

  1. मेरे द्वारा लिखित निबंध कृतज्ञतापूर्वक स्वीकार किया गया।
  2. यह काम मेरे द्वारा किया जाएगा।
  3. उस दिन काम मेरे द्वारा संपादित किया गया था।
  4. इस विषय पर विस्तृत जानकारी मेरे द्वारा प्रदान की जाएगी।

इन वाक्यों में “मेरे द्वारा” अधिकरण कारक है, जो दर्शाता है कि किस व्यक्ति ने इस कार्य का ज़िम्मेदारी लिया है।

सम्पर्क कारक किसे कहते हैं – Sampark Karak Kise Kahte Hain

सम्पर्क कारक वाक्य के दो वस्तुओं के बीच संबंध बताता है और वे संबंध के समय कैसे संबंधित होते हैं। इस कारक के उपयोग से वाक्य में संबंध बताया जाता है कि किस वस्तु की अवस्था कैसे दूसरी वस्तु से संबंधित है।

सम्पर्क कारक के उदाहरण: Sampark Karak Ke Udaharan

  1. मैंने रवि से फोन पर बात की। (यहां, संपर्क कारक है “रवि से” जो दो वस्तुओं के संबंध को बताता है।)
  2. दीपक ने अपनी गाड़ी को वहां पार्क किया जहां राज की गाड़ी थी। (यहां, संपर्क कारक है “राज की गाड़ी से” जो दो वस्तुओं के संबंध को बताता है।)
  3. नेहा ने अपनी माँ से बात की। (यहां, संपर्क कारक है “अपनी माँ से” जो दो वस्तुओं के संबंध को बताता है।)

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